बहुत दिनों के बाद छिड़ी है वीणा की झंकार अभय
बहुत दिनों के बाद समय ने गाया मेघ मल्हार अभय
बहुत दिनों के बाद किया है शब्दों ने श्रृंगार अभय
बहुत दिनों के बाद लगा है वाणी का दरबार अभय
बहुत दिनों के बाद उठी है प्राणों में हूंकार अभय
बहुत दिनों के बाद मिली है अधरों को ललकार अभय
बहुत दिनों के बाद समय ने गाया मेघ मल्हार अभय
बहुत दिनों के बाद किया है शब्दों ने श्रृंगार अभय
बहुत दिनों के बाद लगा है वाणी का दरबार अभय
बहुत दिनों के बाद उठी है प्राणों में हूंकार अभय
बहुत दिनों के बाद मिली है अधरों को ललकार अभय
बहुत दिनों के बाद मौन का पर्वत पिघल रहा है जी
बहुत दिनों के बाद मजीरा करवट बदल रहा है जी
मैं यथार्थ का शिला लेख हूँ भोजपत्र वरदानों का
चिंतन में दर्पण हूँ भारत के घायल अरमानों का
बहुत दिनों के बाद मजीरा करवट बदल रहा है जी
मैं यथार्थ का शिला लेख हूँ भोजपत्र वरदानों का
चिंतन में दर्पण हूँ भारत के घायल अरमानों का
इसी लिए मैं शंखनाद कर अलख जगाने वाला हूँ
अग्निवंश के चारण कुल की भाषा गाने वाला हूँ
कलमकार हूँ इन्कलाब के गीत सुनाने वाला हूँ
कलमकार हूँ कलमकार का धर्म निभाने वाला हूँ
अग्निवंश के चारण कुल की भाषा गाने वाला हूँ
कलमकार हूँ इन्कलाब के गीत सुनाने वाला हूँ
कलमकार हूँ कलमकार का धर्म निभाने वाला हूँ
अंधकार में समां गये जो तूफानों के बीच जले
मंजिल उनको मिली कभी जो एक कदम भी नहीं चले
क्रांति कथानायक गौण पड़े हैं गुमनामी की बाँहों में
गुंडे तश्कर तने खड़े हैं राजभवन की राहों में
यहाँ शहीदों की पावन गाथाओं को अपमान मिला
डाकू ने खादी पहनी तो संसद में सम्मान मिला
मंजिल उनको मिली कभी जो एक कदम भी नहीं चले
क्रांति कथानायक गौण पड़े हैं गुमनामी की बाँहों में
गुंडे तश्कर तने खड़े हैं राजभवन की राहों में
यहाँ शहीदों की पावन गाथाओं को अपमान मिला
डाकू ने खादी पहनी तो संसद में सम्मान मिला
राजनीती में लौह पुरुष जैसा सरदार नहीं मिलता
लाल बहादुर जी जैसा कोई किरदार नहीं मिलता
नानक गाँधी गौतम का अरमान खो गया लगता है
गुलजारी नंदा जैसा ईमान खो गया लगता है
एरे-गैरे नथू-गैरे संतरी बन कर बैठे हैं
जिनको जेलों में होना था मंत्री बन कर बैठे हैं
लाल बहादुर जी जैसा कोई किरदार नहीं मिलता
नानक गाँधी गौतम का अरमान खो गया लगता है
गुलजारी नंदा जैसा ईमान खो गया लगता है
एरे-गैरे नथू-गैरे संतरी बन कर बैठे हैं
जिनको जेलों में होना था मंत्री बन कर बैठे हैं
मैंने देशद्रोहियों का अभिनन्दन होते देखा है
भगत सिंह का रंग बसंती चोला रोते देखा है
लोकतंत्र का मंदिर भी लाचार बना कर डाल दिया
कोई मछली बिकने का बाजार बना कर डाल दिया
भगत सिंह का रंग बसंती चोला रोते देखा है
लोकतंत्र का मंदिर भी लाचार बना कर डाल दिया
कोई मछली बिकने का बाजार बना कर डाल दिया
अब भारत को संसद भी दुर्पंच दिखाई देती है
नौटंकी करने वालो का मंच दिखाई देती हैं
राज मुखट पहने बैठे है मानवता के अपराधी
नौटंकी करने वालो का मंच दिखाई देती हैं
राज मुखट पहने बैठे है मानवता के अपराधी
मैं सिंहासन की बर्बरता को ठुकराने वाला हूँ
कलमकार हूँ इन्कलाब के गीत सुनाने वाला हूँ
कलमकार हूँ कलमकार का धर्म निभाने वाला हूँ
कलमकार हूँ इन्कलाब के गीत सुनाने वाला हूँ
कलमकार हूँ कलमकार का धर्म निभाने वाला हूँ
आजादी के सपनो का ये कैसा देश बना डाला
चाकू चोरी चीरहरण वाला परिवेश बना डाला
हर चौराहे से आती है आवाजें संत्रासों की
पूरा देश नजर आता है मण्डी ताजा लाशों की
हम सिंहासन चला रहे हैं राम राज के नारों से
मदिरा की बदबू आती हैं संसद की दीवारों से
चाकू चोरी चीरहरण वाला परिवेश बना डाला
हर चौराहे से आती है आवाजें संत्रासों की
पूरा देश नजर आता है मण्डी ताजा लाशों की
हम सिंहासन चला रहे हैं राम राज के नारों से
मदिरा की बदबू आती हैं संसद की दीवारों से
अख़बारों में रोज खबर है चरम पंथ के हमलों की
आँगन की तुलसी दासी है नागफनी के गमलो की
आज देश में अपहरणो की स्वर्णमयी आजादी है
रोज गोडसे की गोली के आगे कोई गाँधी हैं
संसद के सीने पर खूनी दाग दिखाई देता है
पूरा भारत जालिया वाला बाग़ दिखाई देता है
आँगन की तुलसी दासी है नागफनी के गमलो की
आज देश में अपहरणो की स्वर्णमयी आजादी है
रोज गोडसे की गोली के आगे कोई गाँधी हैं
संसद के सीने पर खूनी दाग दिखाई देता है
पूरा भारत जालिया वाला बाग़ दिखाई देता है
रोज कहर के बादल फटते है टूटी झोपडियों पर
संसद कोई बहस नहीं करती भूखी अंतडियों पर
वे उनके दिल के छालों की पीड़ा और बढ़ातें हैं
जो भूखे पेटों को भाषा का व्याकरण पढातें हैं
लेकिन जिस दिन भूख बगावत करने पर आ जाती है
उस दिन भूखी जनता सिंहासन को भी खा जाती है
संसद कोई बहस नहीं करती भूखी अंतडियों पर
वे उनके दिल के छालों की पीड़ा और बढ़ातें हैं
जो भूखे पेटों को भाषा का व्याकरण पढातें हैं
लेकिन जिस दिन भूख बगावत करने पर आ जाती है
उस दिन भूखी जनता सिंहासन को भी खा जाती है
जबतक बंद तिजोरी में मेहनतकश की आजादी है
तब तक सिंहासन को अपराधी बतलाने वाला हूँ
कलमकार हूँ कलमकार का धर्म निभाने वाला हूँ
कलमकार हूँ इन्कलाब के गीत सुनाने वाला हूँ
तब तक सिंहासन को अपराधी बतलाने वाला हूँ
कलमकार हूँ कलमकार का धर्म निभाने वाला हूँ
कलमकार हूँ इन्कलाब के गीत सुनाने वाला हूँ
राजनीति चुल्लू भर पानी है जनमत के सागर में
सब गंगा समझे बैठे है अपनी अपनी गागर में
जो मेधावी राजपुरुष हैं उन सबका अभिनन्दन है
उनको सौ सौ बार नमन है, मन प्राणों से वंदन है
जो सच्चे मन से भारत माँ की सेवा कर सकते हैं
उनके कदमो में हम अपने प्राणों को धर सकते हैं
सब गंगा समझे बैठे है अपनी अपनी गागर में
जो मेधावी राजपुरुष हैं उन सबका अभिनन्दन है
उनको सौ सौ बार नमन है, मन प्राणों से वंदन है
जो सच्चे मन से भारत माँ की सेवा कर सकते हैं
उनके कदमो में हम अपने प्राणों को धर सकते हैं
लेकिन जो कुर्सी के भूखे दौलत के दीवाने हैं
सात समुन्दर पार तिजोरी में जिनके तहखाने हैं
जिनकी प्यास महासागर है भूख हिमालय पर्वत है
लालच पूरा नील गगन है दो कोडी की इज्जत है
इनके कारण ही बनते है अपराधी भोले भाले
वीरप्पन पैदा करते हैं नेता और पुलिस वाले
सात समुन्दर पार तिजोरी में जिनके तहखाने हैं
जिनकी प्यास महासागर है भूख हिमालय पर्वत है
लालच पूरा नील गगन है दो कोडी की इज्जत है
इनके कारण ही बनते है अपराधी भोले भाले
वीरप्पन पैदा करते हैं नेता और पुलिस वाले
अनुशाशन नाकाम प्रषाशन कायर गली कूचो में
दो सिंहासन लटक रहे हैं वीरप्पन की मूछों में
उनका भी क्या जीना जिनको मर जाने से डर होगा
डाकू से डर जाने वाला राजपुरुष कायर होगा
सौ घंटो के लिए हुकूमत मेरे हाथों में दे दो
वीरप्पन जिन्दा बच जाये तो मुझको फांसी दे दो
दो सिंहासन लटक रहे हैं वीरप्पन की मूछों में
उनका भी क्या जीना जिनको मर जाने से डर होगा
डाकू से डर जाने वाला राजपुरुष कायर होगा
सौ घंटो के लिए हुकूमत मेरे हाथों में दे दो
वीरप्पन जिन्दा बच जाये तो मुझको फांसी दे दो
कायरता का मणि मुकुट है राजधर्म के मस्तक पर
मैं शाशन को अभय शक्ति का पाठ पढ़ाने वाला हूँ
अग्निवंश के चारण कुल की भाषा गाने वाला हूँ
कलमकार हूँ इन्कलाब के गीत सुनाने वाला हूँ
मैं शाशन को अभय शक्ति का पाठ पढ़ाने वाला हूँ
अग्निवंश के चारण कुल की भाषा गाने वाला हूँ
कलमकार हूँ इन्कलाब के गीत सुनाने वाला हूँ
बुद्धिजीवियों को ये भाषा अखबारी लग सकती है
मेरी शैली काव्य-शिल्प की हत्यारी लग सकती है
लेकिन जब संसद गूंगी शासन बहरा हो जाता है
और कलम की आजादी पर भी पहरा हो जाता है
जब पूरा जन गण मन घिर जाता है घोर निराशा में
कवि को चिल्लाना पडता है अंगारों की भाषा में
मेरी शैली काव्य-शिल्प की हत्यारी लग सकती है
लेकिन जब संसद गूंगी शासन बहरा हो जाता है
और कलम की आजादी पर भी पहरा हो जाता है
जब पूरा जन गण मन घिर जाता है घोर निराशा में
कवि को चिल्लाना पडता है अंगारों की भाषा में
जिन्दा लाशें झूठ की जय जय कर नहीं करती
प्यासी आँखे सिंहासन वालो को प्यार नहीं करती
सत्य कलम की शक्तिपीठ है राजधर्म पर बोलेगी
समय तुला भी वर्तमान के अपराधों को तोलेगी
मनुहारों से लहू के दामन साफ़ नहीं होंगे
इतिहासों की तारिखों में कायर माफ़ नहीं होंगे
प्यासी आँखे सिंहासन वालो को प्यार नहीं करती
सत्य कलम की शक्तिपीठ है राजधर्म पर बोलेगी
समय तुला भी वर्तमान के अपराधों को तोलेगी
मनुहारों से लहू के दामन साफ़ नहीं होंगे
इतिहासों की तारिखों में कायर माफ़ नहीं होंगे
शासन चाहे तो वीरप्पन कभी नहीं बच सकता है
सत्यमंगलम के जंगल में कोहराम मच सकता है
लेकिन बड़े इशारे पाकर वर्दी सोती रहती है
राजनीती की अपराधों से फिक्सिंग होती रहती हैं
डाकू नेता और पुलिस का गठबंधन हो जाता हैं
नागफनी काँटों का जंगल चन्दन वन हो जाता है
सत्यमंगलम के जंगल में कोहराम मच सकता है
लेकिन बड़े इशारे पाकर वर्दी सोती रहती है
राजनीती की अपराधों से फिक्सिंग होती रहती हैं
डाकू नेता और पुलिस का गठबंधन हो जाता हैं
नागफनी काँटों का जंगल चन्दन वन हो जाता है
अपराधों को संरक्षण है राजमहल की चौखट से
मैं दरबारों के दामन के दाग दिखाने वाला हूँ
अग्निवंश के चारण कुल की भाषा गाने वाला हूँ
कलमकार हूँ इन्कलाब के गीत सुनाने वाला हूँ.......
मैं दरबारों के दामन के दाग दिखाने वाला हूँ
अग्निवंश के चारण कुल की भाषा गाने वाला हूँ
कलमकार हूँ इन्कलाब के गीत सुनाने वाला हूँ.......
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